*जिले की कटऑफ सूची में आने वाले नवीन श्रीवास्तव सहित 12 लोगो की नियुक्ति का ही शासनादेश

 


*»सुप्रीम कोर्ट पीजी बेस आर्डर में 23 लोग थे कवर्ड सभी को नही मिल रही है नियुक्ति*


*»क्राईटेरिया कटऑफ फालो न करने वाले 11 अन्य को सरकार का नियुक्ति देने से साफ इंकार*


*लखनऊ।* सरकार गलत बेस पर एक भी नियुक्ति नही करने वाली। शासनादेश से यह बात साफ हो गई।नवीन श्रीवास्तव & अदर्श (पीजी बेस) को अखिलेश सरकार में ही ज्वाईनिंग मिल जानी चाहिए थी। इनकी नियुक्ति याची लाभ का तोहफा नही बल्कि इनका अधिकार था।


कानूनी लड़ाई का ही नतीजा है कि देर से ही सही पर जीत मिली। लेकिन इसका मतलब ये कदापि नही है कि गलत मांग, गलत आधार,याची लाभ के लिए लड़ी जाने वाली लड़ाई का परिणाम भी सुखद होगा।


सुप्रीम कोर्ट के पहले आदेश अप्रैल में ही इनको नियुक्ति मिल जानी चाहिए थी। लेकिन न्यायपालिका को अपने ही आदेश का पालन कराने के लिए तीन बार आदेश करना पड़ा। वो भी भारत की सर्वोच्च न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट को।


12091 प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया है। इस सूची में ऐसे लोगो का नाम भी शामिल है। जो 24 फरवरी व विज्ञापन की लड़ाई के प्रमुख चेहरे रहे है।


कोर्ट का आदेश पिटीशन लाभ तक सीमित रहता है या12091 की नियुक्ति का स्पष्ट सख्त आदेश। ये तो आर्डर आने के बाद ही स्पष्ट होगा। काश सुप्रीम कोर्ट सभी की नियुक्ति का आदेश पारित कर देती। याची लाभ देना अन्य लोगों के साथ अन्याय व बेईमानी होगी 862 की तरह।


24 फरवरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन-तीन बार अंतरिम आदेश पारित किया यह बात सत्य है लेकिन अंतरिम आदेश किस लिए था यह जानना भी जरूरी है।सरल शब्दो में एक लाईन में समझ सकते है-


*{सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश कभी भी 24 फरवरी की नियुक्ति के लिए नही बल्कि कंसीडर करने को लेकर था}*


तत्का सरकार की मंशा नही थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की बेंच भी इसे बाखूबी समझ चुकी थी।तीन-तीन अंतरिम आदेश का पालन सरकार नही कर रही थी फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश क्यो नही किया? सुप्रीम कोर्ट आदेश करती सरकार की क्या मजाल 24 फरवरी को नियुक्ति नही देती।


4104/4150/862 के आधार पर नियुक्ति की लड़ाई का दावा व हाईकोर्ट से खारिज रिट के आधार पर विज्ञापन बहाली के लिए लड़ी जाने वाली सुप्रीम कोर्ट की कानूनी लड़ाई खोदा पहाड़ निकली चुहिया ही साबित होगी।


 


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