*2024 में भारत में लोकसभा चुनाव होना असम्भव*

*CAB/CAA-NRC-NPR*


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*"विजयादशमी 2 अक्टूबर,2025 को संघ के स्थापना के 100 साल पूरे होने केे अवसर पर हिंदू राष्ट्र की स्थापना"*
*जनवरी 2020 में ‘चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़’ की नियुक्ति के बाद… –*
        नागरिकता कानून अब वजूद में आ चुका है।लोकसभा, राजयसभा से पास होने के बाद बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। देशभर में इस कानून को लेकर बड़े प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों के हालात बहुत ख़राब हो चुके हैं। बाकी देश के अन्य हिस्सों में भी जनता में भारी गुस्सा है। सरकार नागरिकता बिल के *ज़रिये मुस्लिम समाज को टारगेट कर रही है,* 
           असल में बीजेपी की सरकार जो कुछ भी कर रही है, वो बहुत सोच समझ के संघ के इशारे पर किया जा रहा है। तमाम विरोध प्रदर्शन के बावजूद बीजेपी की सरकार इन पर पीछे नहीं जायेगी, संघ ने पूरे एक सदी तक जिस दिन के लिए काम किया है, मेहनत की है, ये उन लक्ष्यों के पूरा करने का वक़्त है।यहाँ संघ की तारीफ करना पड़ेगी, उसने हर तरह के माहौल में लगातार काम किया है, अपने काम को कभी भी किसी भी सूरत में थमने नहीं दिया, एक सदी तक उसने जिस मकसद को हासिल करने के लिए रात दिन एक किये हैं, ये उनका नतीजा है जो इस वक़्त देश में देखने को मिल रहा है। *गोहत्या विरोधी कानून,कश्मीर से 370 ख़तम करना संघ के एजेंडे में हमेशा से रहा था, अयोध्या में ”बाबरी” मस्जिद पर ‘राम’ मंदिर बनाना संघ का कार्यक्रम है, समान नागरिक संहिता, मुसलमानों से वोट का अधिकार वापस लेना, दलित, पिछड़ों को वोट के लिए हिन्दुओं में गिनना, संघ कि स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के मुहूर्त विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025 में भारत को ‘हिन्दू’ राष्ट्र घोषित करना, उससे पहले जरूरी कानून बनाकर रास्ता साफ करना, तमाम अधिकार उच्च जाति के हिन्दुओं तक सीमित करना,अतिपिछड़ी-अतिदलित-आदिवासी-वनवासी जातियों को धर्म की घुट्टी पिलाकर व कर्मकांड के मकड़जाल में फंसाकर इनकी ताकत को कमजोर कर सामाजिक वर्गीय आधार पर नफरत की भावना पैदा करना,,*
        ये दिन आयेगा जिस किसी ने भी अब *से 20-30 साल पहले नहीं सोचा था, उनको बेअकल, मुर्ख ही समझा जा सकता है।* राजीव गाँधी की हत्या का ‘मूल’ हितों की प्राप्ति/पूर्ति के लिए किया गया बड़ा ‘अपराध’ था, जिसको हमेशा ही एक ख़ास तरफ ”लिट्टे” से जोड़ कर देश के सामने कहानी परोस दी गयी। शायद गाँधी परिवार हकीकत को समझता है, मगर वो इस मुद्दे पर बोल नहीं सकता, क्यूंकि बहुत बार जो कुछ भी बचा कुचा होता है, उसे बचाना ज़रूरी हो जाता है,,,
इंदिरा गाँधी की हत्या, संघ के लिए एक सुनहरा मौका साबित हुई थी। *संघ के बड़े बड़े नीतिकार, नेता, कार्यकर्त्ता प्लानिंग कर के कांग्रेस में शामिल हो गए थे,* इन लोगों ने कम समय में कांग्रेस के अंदर अपनी जड़ों को गहराई तक जमा लिया था, पार्टी और सरकार में इनको अहमियत मिलने लगी थी, इन लोगों ने ग़ैरराजनैतिक व्यक्ति राजीव गाँधी को हर तरफ से घेरना शुरू कर दिया था, शाह बानो मामले पर अदालत के फैसले को पलटवाया और उसके बाद इस फैसले को लेकर राजीव गाँधी को ब्लैक मेल करना शुरू कर दिया था। हिन्दू वोटर खिलाफ हो जायेंगे, का डर दिखा कर अयोध्या में मस्जिद का ”ताला” खुलवा लिया था।यहाँ से शुरू होता बड़ा खेल,श्रीलंका में लिट्टे वहां की सरकार से लड़ रहा था, लिट्टे भारत सरकार, जनता समर्थित संगठन था, तमिल, आंध्र, कर्नाटक आदि राज्यों की सरकारें लिट्टे का खुल कर समर्थन करती थीं।राजीव गाँधी ने श्रीलंका में भारत की सेना भेजी थी, जो वहां लिट्टे के खिलाफ लड़ी।राजीव गाँधी श्रीलंका पहुंचे तो "गॉर्ड ऑफ़ ओनर" के वक़्त एक सैनिक ने उन पर हमला कर दिया था, ये हमला भारत में राजीव गाँधी पर जान लेवा हमले की प्रेरणा बना था। जिसको पकड़ कर तमिल इलम के आतंकवादियों से ‘झंडेवालान’ वाले सम्पर्क कर घटना को अंजाम दिलवाते हैं। जिसे ‘चौहान’ साहब की मदद से तमिलों तक सीमित रखा गया। ‘चौहान’ ने संघ का बहुत साथ दिया।बाबरी मस्जिद को गिराने में भी उनकी अहम् भूमिका रही,खैर सरकारें कुछ भी कर सकती हैं।
        बात करते हैं नागरिक बिल की, अब जो कुछ भारत में हो रहा है वो 100 साल के सपने को हकीकत में तब्दील करना है,,षड़यंत्र हमेशा बड़े गुल खिलाते हैं, 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कश्मीर के पुलवामा में CRPF के ऊपर हुए आतंकवादी हमले के बाद टीवी समाचार चैनलों ने सरकार की तरफ से मोर्चा खोल दिया था, सेना भी पीछे नहीं थी, वो न जाने मेरठ या लुधियाना या ग्वालियर पता नहीं कहाँ से F-16 की खिड़की ले आती है।ये है सबूत हमने मार गिराया था ‘दुश्मन’ का F-16, ट्रम्प चाचा ने एक एक F-16 की गिनती ‘दुश्मन’ के बेडे में करवाई, वहां पूरे निकले, मगर यहाँ नहीं,  सच कह रहे हैं, हमने गिराया था,पुलवामा का आतंकवादी हमला भारत की राजनीति को बदलने वाला साबित हुआ, आयोग के साथ मिल कर लडे गए चुनावों में विपक्ष की करारी हार हुई।पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद विपक्ष को एक साथ चुनावों का बहिष्कार करना चाहिए था। जो उन्होंने नहीं किया बल्कि खुद को देशभक्त साबित करने में लगी रहीं, हमारे राजनैतिक मत भेद हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम सरकार के साथ हैं, दोनों हाथों में लड्डू चाहिए थे।निरीह अनपढ़,पिछड़े-दलित आदिवासी छद्म राष्ट्रवाद व हिंदुत्व की बयार में बह गए,जिस हिंदुत्व में इनका भविष्य सुरक्षित नहीं है,की जाल में फंस गए।
        अब ये बिलकुल तय है कि कश्मीर, NRC, CAB, हिन्दू राष्ट्र, मुसलमानों से वोट का अधिकार आदि को मौजूदा सरकार अंजाम तक पहुंचायेगी, इन में से किसी भी मुद्दे पर सरकार पीछे नहीं हटने वाली, ये सरकार के बस में नहीं है, बॉस जो कहेगा वो करना पड़ेगा, बॉस दिल्ली में नहीं ”नागपुर” में रहता है। आज देश पर ‘बॉस’ का कब्ज़ा हो चुका है।
अगले महिने यानी जनवरी 2020 में भारत में ‘चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ’ की नियुक्ति हो जायेगी, जिसके बाद देश की सेनाएं एक ‘कमान’ के अधीन आ जाएँगी, थल, जल, वायु सेना के अध्यक्ष अब ‘चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ' के अधीन होंगे।इनको  ‘चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ' का आदेश मानना होगा। ‘चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ' गृह मंत्रालय के अधीन होगा, जिसको गृहमंत्री के आदेशों का पालन करना पड़ेगा, मतलब,,,बाक़ी सब की समझ में तब तक नहीं आयेगा जब तक वो
बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने 2019 लोकसभा चुनावों के वक़्त कहा था, ”ये आखिरी चुनाव है, इसके बाद देश में चुनाव नहीं होंगे’, श्री राम माधव ने भी कहा था,यह अंतिम चुनाव होगा,उम्मीद रखें कि 2024 में भारत में लोकसभा चुनाव नहीं होंगे।
      भारत जिस रास्ते पर चल पड़ा है वो बहुत खतरनाक है, ये रास्ता भयानक भविष्य की तरफ जाता है, जहाँ हज़ारों डिटेंशन सेण्टर होंगे, भट्टियां होंगी, सामूहिक कब्रें, बड़े बड़े यातना केंद्र, गैस चैम्बर होंगे,,,ये कोई खामखयाली नहीं है, ये सत्य है जिसे स्वीकार करना चाहिए,,,जब भी कोई देश नस्लपरस्ती के आधार पर नीतियां बनाता है, वहां कानून का राज नहीं रहता है, जब कानून का राज नहीं रहता है,तब वहां खौफ/डर खड़ा हो जाता है।नस्लपरस्ती देश के संविधान, न्याय व्यवस्था, सामाजिक ताने बाने को तहसनहस कर देती है, भारत के अंदर समाज को बांटने का काम दशकों से चल रहा है, आज हिन्दू -मुस्लिम मुद्दा है, मंदिर -मस्जिद मुद्दा है,,,न्याय की बलि देकर एक धर्म प्रधान देश बनाने की प्रक्रिया से देश गुज़र रहा है, ‘बाबरी’ मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखना ग़लत था, ‘बाबरी’ मस्जिद को गिराना आपराधिक कृत था, मगर ‘मंदिर’ बाबरी ”मस्जिद” जहाँ थी ,वहीँ उसी ज़मीन पर बनेगा,,,करलो क्या करोगे।


        *अब क्या करें*
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– जो हालत इस वक़्त देश में बन रहे हैं,उनमे खास कर मुस्लिम समाज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है, सरकार कहती है कि ”नागरिकता बिल’ किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है, सरकार का तर्क अपनी जगह, लोगों की अपनी चिंतायें जो हैं वो अपनी जगह सही हैं।भारत के मुसलमानों को इस मौके पर अपने दिल, दरवाज़े दलित, पिछड़ों के लिए खोल देने चाहिए।ये देश का मामला है, दलित, पिछड़े, वनवासी भारत के मूल निवासी हैं, इस समाज ने हज़ारों वर्षों तक प्रताड़नाओं को सहा है, जिसे दर्द होता है, वो ही दूसरे के दर्द को समझता है,
– भारत में मौजूद सिख समाज को नागरिक कानून के खिलाफ खड़े होना चाहिए, मुस्लिम समाज के बड़े नेता, मौलाना सिख समाज के ज़िम्मेदारों के साथ बैठें, उनसे देश बचाने के लिए मदद करने की बात करें
– मराठा और मुस्लिम समाज के आपसी रिश्ते छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से ही बहुत अच्छे रहे हैं, मुस्लिम समाज हमेशा मराठाओं के साथ खड़ा रहा है, राजनैतिक कारणों से राजनैतिक लोगों ने कई बार ग़लत जानकारियां देकर लोगों में भ्रम पैदा किया है, मगर सच्चाई लोग जानते हैं।
– साउथ और नार्थ इंडिया को नागरिक बिल को लेकर अपना विरोध करना पड़ेगा, ये बिल नागरिकता के सत्यापन के लिए बल्कि अपने देश की जनता की ”छटनी” करने के लिए है, जिसे ग़ुलाम बना कर रखा जायेगा


      *ये भी याद रखें*
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– अमित शाह ने तो संसद में ये भी बार- बार कहा है कि कश्मीर में सब ठीक है , फारूक अब्दुल्लाह को नज़र बंद नहीं किया गया, क्या ये सच था?
– कल्याण सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था, कि विवादित ढांचे को क्षति नहीं पहुंचने दी जाएगी।
*– संघ, शाह और मोदी का कोई एतबार नहीं।*
       सभी शिक्षित एससी, एसटी, ओबीसी,अल्पसंख्यक वर्ग के लोग revolution और counter revolution की क्लास में 3-4 घन्टा इत्मीनान से बैठें, सुनें।एससी, एसटी, ओबीसी के महिलाओं को भी ज्यादा जरूरी है, क्योंकि हिन्दू महिलाएं मनु वाद को आर्थिक पोषण कर रही है।
        मोहम्मद साहब के मानवता वादी विचारों का प्रचार प्रसार करना अत्यंत जरूरी है,ताकि गैर मुस्लिम एससी, एसटी, ओबीसी का मुसलमानों से नजदीकी बढ़े, मुसलमानों के खिलाफ नफरत दूर हो।


       *इसे गंभीरता से लें*
सिर्फ मैसेज फॉरवर्ड करने से कुछ नहीं होगा, इस पर कुछ काम कीजिए धरातल पर.. आप लोग बेवकूफ और निकम्मा भी हैं,कोई देश बचाने के प्रयास में घर बार छोड़ कर revolution और counter revolution की training दे रहा, और एक आप हैं जिनके पास राजनीतिक षडयंत्र और आगे का रणनीति समझने का वक्त नहीं है।
*लोकतंत्र, संविधान बचाने के लिए सभी पिछड़े-दलित-आदिवासी एकजुट हो संघ के इशारे पर काम करने वाली भाजपा सरकार के विरुद्ध आंदोलित हों।*
          *-लौटनराम निषाद*


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