जो लोग सन 1922 से पहले अपने आपको हिन्दु कहलाना तक पसंद नहीं करते थे बल्कि हिन्दू शब्द को गाली मानते थे और जब सभी हिंदुओं पर औरंगजेब द्वारा जजिया कर लगाया गया था तो ब्राह्मणों ने कहा था कि हम लोग हिन्दु नहीं हैं। हम आर्य है जो आप ही के जैसा बाहर से यहाँ आये हैं। इसलिये ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त किया जाए और इस सम्बंध में उन्होंने बहुत सारे प्रमाण भी दिए और अंत में ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त किया गया था। वे ही लोग आजकल हिंदुत्व को मजबूत करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इसके पीछे जो कारण है उस पर विचार करना अति आवश्यक है।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि आजादी से पहले हमारा देश अंग्रजों का गुलाम था अर्थात ब्रिटेन की अंग्रेज सरकार हमारे देश पर राज करती थी। उस वक्त ब्रिटेन में वोट डालने का अधिकार उन्हीं लोगों को था जो या तो पढ़े लिखे होते थे या फिर आयकर दाता थे या काफी मात्रा में जमीन के मालिक थे ।लेकिन ब्रिटेन की आम जनता को वोट डालने का अधिकार नहीं होता था।इसलिए वहां एक जन आन्दोलन शुरू किया गया था कि वोट देने का अधिकार उन सभी लोगों को दिया जाये जो 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हों यानी कि वयस्क मताधिकार होना चाहिए।
उस जन आन्दोलन के सामने ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पड़े और ब्रिटेन में 1918 से 21 वर्ष उम्र के सभी नागरिकों के लिए वयस्क मताधिकार लागू करना पड़ा।
जब ब्रिटेन में अंग्रेजी सरकार ने वयस्क मताधिकार लागू कर दिया तो भारत में विदेशी आर्यों में भी खलबली मच गई क्योंकि उनको लगने लगा कि अंग्रेजी सरकार वयस्क मताधिकार का कानून भारत में भी लागू कर सकती है और यदि भारत में वयस्क मताधिकार लागू हो गया तो हमेशा 85 प्रतिशत मूल निवासी बहुजनों की ही सरकार बनती रहेगी। हम 15 प्रतिशत से भी कम विदेशी आर्य लोग कभी भी सरकार नहीं बना पाएंगे। इसलिये इन लोगों ने निर्णय लिया कि अब हमारे सामने हिन्दू बनने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इसलिये सन 1922 में सबसे पहले इन विदेशी आर्य लोगों ने हिन्दु महासभा का गठन किया।इससे पूर्व 1918 में ब्राह्मण महासभा बनाया जो कारगर साबित नहीं हुआ।1922 में अपने आपको हिन्दू स्वीकार कर लिया और हिन्दुओं के ठेकेदार बन हिन्दू धर्म एवं मनगढ़ंत हिन्दुत्व का प्रचार-प्रसार करने लगे, लेकिन इन विदेशी आर्यों को एक डर बहुत ज्यादा सत्ता रहा था कि यदि 1931 के जातीय आधारित जनगणना के अनुसार 35% मुस्लिम लोग एवं .15% अछूत तथा 7.5% आदिवासी कुल 57.5% आबादी एक साथ इस देश में रहेंगे तो हमारी सरकार बनने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।इसलिये एक सोची समझी रणनीति के तहत अलग पाकिस्तान बनाने की साजिश रची गई और ये लोग अपनी साजिश में कामयाब भी हुए। जिसके फलस्वरूप 10.5% मुस्लिम ही भारत में रह गए और ओबीसी को मिलाकर इनकी जनसंख्या 52%+15%=67% हो गई ।
सन 1947 में अंग्रेज सरकार चली गई और देश आजाद हो गया। तभी से 15 प्रतिशत विदेशी आर्य लोग भारत पर राज कर रहे हैं और पूरे साधन और संसाधनों पर इन्होंने अपना कब्जा जमा रखा है। लेकिन, अभी भी इनको एक डर लगातार सता रहा है कि मुस्लिम और दलित यदि एक साथ खड़े हो गए और थोड़ा सा भी जागरूक ओबीसी साथ दे दिया तो हमारी सरकार बनने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसलिये ये 15 प्रतिशत विदेशी लोग तीन काम एक साथ काम कर रहे हैं-
पहला काम हिन्दुत्व को मजबूत करने का षड्यंत्र कर रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी विचारधारा से जोड़ा जा सके।
दूसरा काम दलितों को कमजोर किया जाए जिससे वे लोग सरकार बनाने की बात अपने जीवन में सोचें भी नहीं।
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण काम मुस्लिमों के प्रति नफरत फैलाने का षडयंत्र जिससे वे अलग थलग पड़े रहें।
अब आप समझ गये होंगे कि हमारे देश में हिंदुत्व पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है?
ये सब भोले-भाले ओबीसी को हिन्दू एवं मुसलमान के नाम पर भड़का कर 15 प्रतिशत विदेशियों की सरकार कायम रखने का राजनैतिक खेल है।
हमारे लोगों को इनकी इस गुप्त रणनीति को समझना जरूरी है और इस हिन्दुत्व को कमजोर करने एवं 85% मूलनिवासी बहुजनों(एस.सी.,एस.टी,ओबीसी एवं धार्मिक अल्पसंख्यक) की सत्ता स्थापना के लिए संगठित होकर प्रयास करना जरूरी है।
खेद जनक यह है कि जिस पिछड़े वर्ग के आरक्षण व सामाजिक न्याय के विरुद्ध संघ के आनुषांगिक व भाजपा कार्यकर्ता सरकारी सम्पत्तियों को जलाना,तोड़ना-फोड़ना शुरू कर दिए।जो लोग 1990 में होश सम्भाल लिए रहे होंगे उन्हें मालूम होगा कि भाजपा व सवर्ण पिछड़ों के कितने विरोधी हैं?जो पिछड़ों-दलितों के हक-हिस्से का विरोधी है,वह इनका हितैषी कैसे हो सकता है।जब मण्डल का दौर चल रहा था,तो 95 फिशदी ओबीसी को ही पता नहीं था कि मण्डल कमीशन हमारे हित में है,जिसका विरोध सवर्ण जातियाँ कर रही हैं।मण्डल विरोधी आंदोलन की कुछ घटनाओं का उल्लेख करना उचित समझता हूँ-
1.जब 7 अगस्त,1990 को वी पी सिंह की सरकार ने मण्डल कमीशन के तहत अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण कोटा का निर्णय लिए तो सवर्ण जातियों ने वी पी सिंह को गाली देते हुए नारा दिया- *"राजा नहीं रंक है,देश का कलंक है,मान सिंह की औलाद है।"* जबकि बोफोर्स तोप दलाली के मुद्दे इन्होंने कांग्रेस छोड़ राष्ट्रीय मोर्चा बनाये तो सवर्ण समाज ने नारा दिया था- *"राजा नहीं फकीर है,देश का तकदीर है।"*
2.जब 13 अगस्त,1990 को मण्डल कमीशन की अधिसूचना जारी की गई तो सवर्णों ने देश में कोहराम मचा दिया,तोड़फोड़, आगजनी व धरना-प्रदर्शन शुरू दिया।हमारे गांव के बगल में एक बाजार का तिराहा है जिसे चोचकपुर-जमानियां-ग़ाज़ीपुर तिराहा कहते हैं,पर अगल बगल के सवर्णों ने चक्का जाम कराया जिसमे 95% अतिपिछड़े निषाद,प्रजापति,बढ़ई, लोहार,तेली,बरई आदि ही थे।जिन्हें मालूम ही नहीं था कि उन्ही के आरक्षण के विरोध में ठाकुर,ब्राह्मण धरना प्रदर्शन,चक्काजाम करा रहे हैं।
3.मैं उस समय वाराणसी में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था।सवर्ण छात्र साँड़, कुत्ता,सुअर,बैल की पीठ पर वी पी सिंह,लालू प्रसाद यादव,मुलायम सिंह यादव,रामबिलास पासवान के नाम की पट्टी चिपका कर गाली दे रहे थे।
*जिस हिन्दू धर्म पर हमें गुमान है,उसमे पिछड़ों को गालियां ही दी गयी हैं-*
1.जे बरनाधम तेली कुम्हारा।
श्वपच किरात कोल कलवारा।।
2.लोक वेद सब भाँतिहीं नीचा।
जासु छाह छुई लेइअ सींचा।।
3.कपटी कायर कुमति कुजाति।
लोक बेद बाहेर सब भाँति।।
*बुन्देलखण्ड में एक कहावत सवर्णों द्वारा कही जाती है-*
अहिरम लोधम गड़रं मल्लाहम।
बेगुनाहम् बेबिचारम दस पन्नाहम।।
हिन्दू शास्त्रों में तो पिछड़ों दलितों का इसी तरह खूब महिमामंडन किया गया है।
*अहीर मितईया तब करे,जब कुल मीत मर जाएं।*
सवर्णों द्वारा इसके अर्थ का अनर्थ कर गैर यादव पिछड़ों,दलितों को भड़कया जाता है।
जबकि इसका असली अर्थ यह है कि जब कोई मुसीबत परेशानी में साथ न दे या कोई मित्र काम न आये तो अहीर/यादव ही मददगार साबित होगा।
*चौ.लौटनराम निषाद*
9415761409/8004094735
जय भीम !जय मण्डल! जय संविधान!जय भारत!!
अपने आपको हिन्दु कहलाना तक पसंद नहीं करते थे बल्कि हिन्दू शब्द को गाली मानते थे और जब सभी हिंदुओं पर औरंगजेब द्वारा जजिया कर लगाया गया था तो ब्राह्मणों ने कहा था कि हम लोग हिन्दु नहीं हैं। हम आर्य है जो आप ही के जैसा बाहर से यहाँ आये हैं। इसलिये ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त किया जाए और इस सम्बंध में उन्होंने बहुत सारे प्रमाण भी दिए और अंत में ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त किया गया था। वे ही लोग आजकल हिंदुत्व को मजबूत करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इसके पीछे जो कारण है उस पर विचार करना अति आवश्यक है।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि आजादी से पहले हमारा देश अंग्रजों का गुलाम था अर्थात ब्रिटेन की अंग्रेज सरकार हमारे देश पर राज करती थी। उस वक्त ब्रिटेन में वोट डालने का अधिकार उन्हीं लोगों को था जो या तो पढ़े लिखे होते थे या फिर आयकर दाता थे या काफी मात्रा में जमीन के मालिक थे ।लेकिन ब्रिटेन की आम जनता को वोट डालने का अधिकार नहीं होता था।इसलिए वहां एक जन आन्दोलन शुरू किया गया था कि वोट देने का अधिकार उन सभी लोगों को दिया जाये जो 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हों यानी कि वयस्क मताधिकार होना चाहिए।
उस जन आन्दोलन के सामने ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पड़े और ब्रिटेन में 1918 से 21 वर्ष उम्र के सभी नागरिकों के लिए वयस्क मताधिकार लागू करना पड़ा।
जब ब्रिटेन में अंग्रेजी सरकार ने वयस्क मताधिकार लागू कर दिया तो भारत में विदेशी आर्यों में भी खलबली मच गई क्योंकि उनको लगने लगा कि अंग्रेजी सरकार वयस्क मताधिकार का कानून भारत में भी लागू कर सकती है और यदि भारत में वयस्क मताधिकार लागू हो गया तो हमेशा 85 प्रतिशत मूल निवासी बहुजनों की ही सरकार बनती रहेगी। हम 15 प्रतिशत से भी कम विदेशी आर्य लोग कभी भी सरकार नहीं बना पाएंगे। इसलिये इन लोगों ने निर्णय लिया कि अब हमारे सामने हिन्दू बनने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इसलिये सन 1922 में सबसे पहले इन विदेशी आर्य लोगों ने हिन्दु महासभा का गठन किया।इससे पूर्व 1918 में ब्राह्मण महासभा बनाया जो कारगर साबित नहीं हुआ।1922 में अपने आपको हिन्दू स्वीकार कर लिया और हिन्दुओं के ठेकेदार बन हिन्दू धर्म एवं मनगढ़ंत हिन्दुत्व का प्रचार-प्रसार करने लगे, लेकिन इन विदेशी आर्यों को एक डर बहुत ज्यादा सत्ता रहा था कि यदि 1931 के जातीय आधारित जनगणना के अनुसार 35% मुस्लिम लोग एवं .15% अछूत तथा 7.5% आदिवासी कुल 57.5% आबादी एक साथ इस देश में रहेंगे तो हमारी सरकार बनने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।इसलिये एक सोची समझी रणनीति के तहत अलग पाकिस्तान बनाने की साजिश रची गई और ये लोग अपनी साजिश में कामयाब भी हुए। जिसके फलस्वरूप 10.5% मुस्लिम ही भारत में रह गए और ओबीसी को मिलाकर इनकी जनसंख्या 52%+15%=67% हो गई ।
सन 1947 में अंग्रेज सरकार चली गई और देश आजाद हो गया। तभी से 15 प्रतिशत विदेशी आर्य लोग भारत पर राज कर रहे हैं और पूरे साधन और संसाधनों पर इन्होंने अपना कब्जा जमा रखा है। लेकिन, अभी भी इनको एक डर लगातार सता रहा है कि मुस्लिम और दलित यदि एक साथ खड़े हो गए और थोड़ा सा भी जागरूक ओबीसी साथ दे दिया तो हमारी सरकार बनने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसलिये ये 15 प्रतिशत विदेशी लोग तीन काम एक साथ काम कर रहे हैं-
पहला काम हिन्दुत्व को मजबूत करने का षड्यंत्र कर रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी विचारधारा से जोड़ा जा सके।
दूसरा काम दलितों को कमजोर किया जाए जिससे वे लोग सरकार बनाने की बात अपने जीवन में सोचें भी नहीं।
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण काम मुस्लिमों के प्रति नफरत फैलाने का षडयंत्र जिससे वे अलग थलग पड़े रहें।
अब आप समझ गये होंगे कि हमारे देश में हिंदुत्व पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है?
ये सब भोले-भाले ओबीसी को हिन्दू एवं मुसलमान के नाम पर भड़का कर 15 प्रतिशत विदेशियों की सरकार कायम रखने का राजनैतिक खेल है।
हमारे लोगों को इनकी इस गुप्त रणनीति को समझना जरूरी है और इस हिन्दुत्व को कमजोर करने एवं 85% मूलनिवासी बहुजनों(एस.सी.,एस.टी,ओबीसी एवं धार्मिक अल्पसंख्यक) की सत्ता स्थापना के लिए संगठित होकर प्रयास करना जरूरी है।
खेद जनक यह है कि जिस पिछड़े वर्ग के आरक्षण व सामाजिक न्याय के विरुद्ध संघ के आनुषांगिक व भाजपा कार्यकर्ता सरकारी सम्पत्तियों को जलाना,तोड़ना-फोड़ना शुरू कर दिए।जो लोग 1990 में होश सम्भाल लिए रहे होंगे उन्हें मालूम होगा कि भाजपा व सवर्ण पिछड़ों के कितने विरोधी हैं?जो पिछड़ों-दलितों के हक-हिस्से का विरोधी है,वह इनका हितैषी कैसे हो सकता है।जब मण्डल का दौर चल रहा था,तो 95 फिशदी ओबीसी को ही पता नहीं था कि मण्डल कमीशन हमारे हित में है,जिसका विरोध सवर्ण जातियाँ कर रही हैं।मण्डल विरोधी आंदोलन की कुछ घटनाओं का उल्लेख करना उचित समझता हूँ-
1.जब 7 अगस्त,1990 को वी पी सिंह की सरकार ने मण्डल कमीशन के तहत अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण कोटा का निर्णय लिए तो सवर्ण जातियों ने वी पी सिंह को गाली देते हुए नारा दिया- *"राजा नहीं रंक है,देश का कलंक है,मान सिंह की औलाद है।"* जबकि बोफोर्स तोप दलाली के मुद्दे इन्होंने कांग्रेस छोड़ राष्ट्रीय मोर्चा बनाये तो सवर्ण समाज ने नारा दिया था- *"राजा नहीं फकीर है,देश का तकदीर है।"*
2.जब 13 अगस्त,1990 को मण्डल कमीशन की अधिसूचना जारी की गई तो सवर्णों ने देश में कोहराम मचा दिया,तोड़फोड़, आगजनी व धरना-प्रदर्शन शुरू दिया।हमारे गांव के बगल में एक बाजार का तिराहा है जिसे चोचकपुर-जमानियां-ग़ाज़ीपुर तिराहा कहते हैं,पर अगल बगल के सवर्णों ने चक्का जाम कराया जिसमे 95% अतिपिछड़े निषाद,प्रजापति,बढ़ई, लोहार,तेली,बरई आदि ही थे।जिन्हें मालूम ही नहीं था कि उन्ही के आरक्षण के विरोध में ठाकुर,ब्राह्मण धरना प्रदर्शन,चक्काजाम करा रहे हैं।
3.मैं उस समय वाराणसी में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था।सवर्ण छात्र साँड़, कुत्ता,सुअर,बैल की पीठ पर वी पी सिंह,लालू प्रसाद यादव,मुलायम सिंह यादव,रामबिलास पासवान के नाम की पट्टी चिपका कर गाली दे रहे थे।
*जिस हिन्दू धर्म पर हमें गुमान है,उसमे पिछड़ों को गालियां ही दी गयी हैं-*
1.जे बरनाधम तेली कुम्हारा।
श्वपच किरात कोल कलवारा।।
2.लोक वेद सब भाँतिहीं नीचा।
जासु छाह छुई लेइअ सींचा।।
3.कपटी कायर कुमति कुजाति।
लोक बेद बाहेर सब भाँति।।
*बुन्देलखण्ड में एक कहावत सवर्णों द्वारा कही जाती है-*
अहिरम लोधम गड़रं मल्लाहम।
बेगुनाहम् बेबिचारम दस पन्नाहम।।
हिन्दू शास्त्रों में तो पिछड़ों दलितों का इसी तरह खूब महिमामंडन किया गया है।
*अहीर मितईया तब करे,जब कुल मीत मर जाएं।*
सवर्णों द्वारा इसके अर्थ का अनर्थ कर गैर यादव पिछड़ों,दलितों को भड़कया जाता है।
जबकि इसका असली अर्थ यह है कि जब कोई मुसीबत परेशानी में साथ न दे या कोई मित्र काम न आये तो अहीर/यादव ही मददगार साबित होगा।
*चौ.लौटनराम निषाद*
9415761409/8004094735
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