ब्राह्मण खाते थे गौमांस (गौमांस भक्षक ब्राह्मण)


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गौ समर्थकों और बुचडखाने बंद करवाने वालों को करारा तमाचा


प्राचीन भारत में हिन्दू ही नहीं बल्कि ब्राह्मणों ने भी गौ मांस खाया हैं। उनके धर्मग्रंथो में इसका स्पष्ट उल्लेख हैं। 


पंडित राहुल सांस्कृत्यायन यह हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू भाषा के ज्ञाता थे। उनकी विद्वता को सभी ब्राह्मण दाद देते थे। उन्होंने (सांस्कृत्यायन) 1930 में कहा था की, "हमारे प्राचीन ऋषी, महर्षि, वेदज्ञ ब्राह्मण और पुरोहित लोग गाय को अपने हाथों से काटते थे और उसका मांस खाते थे."
सभी ब्राह्मण राहुल सांस्कृत्यायन जी के विद्वता और ज्ञान के आगे नतमस्तक (सिर झुकाना) होते थे इसके अलावा उनके कहनेपर कुछ रिप्लाय भी नहीं देते थे।
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वेदों में गोमांस खाने का उल्लेख हैं।


उक्षणो हि मे पंचदशं साकं पचन्ति विशतिम् ।
उत्ताहंमदिम् पीवं इदुभा कुक्षी प्रणन्ति मे विश्वस्मांदिन्द्र ।।
                    उत्तर ऋग्वेद 10-86-14


अर्थ :- इंद्रने घेरे हुए यज्ञ करनेवाले मेरेलिए 10-15 बैल मारकर पकाते हैं वह खाकर मैं पुष्ट होता हूँ। वे मेरा पेट मद्य (शराब से भी भरते हैं)


अद्रिणाते मन्दिन इन्द्र तृयान्त्सुन्बति ।
सोमान पित्रसित्व मेषाम ।।
पचन्ति ते वषमां अत्सि तेषां ।
पृक्षेण यन्मधवन हूय मानः ।।
           ऋग्वेद 10-28-3


अर्थ :- हे इंद्र भगवान, खाने की इच्छा के लिए आपके लिए हवन किया जाता हैं उसवक्त यजमान पत्थरोंपर जल्द जल्द सोमरस तयार करते हैं वह आप पिते हैं। यजमान बैल का मांस पकाते हैं वह आप खाते हैं।


ऐसे बहोत से उदाहरण हैं जिससे साफ साफ पता चलता हैं कि वेद काल में हिन्दू लोगों ने गोमांस खाया था। इतना ही नहीं
1) वेद काल, 2) ब्राह्मण काल, 3) उपनिषद काल, 4) रामायण काल, 5) महाभारत काल, 6) सूत्र काल, 7) स्मृति काल, 8) पुराण काल में भी हिन्दू लोगों गो मांस खाया था।
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उपनिषद काल में गोमांस खाने का उल्लेख हैं।


यइच्छेत पुत्रों में पंडितों किज्गित: समिति गमा: ।
सुश्रूषिता वाच भाषिता जायते सर्वान् वेदा ।।
नतुब्रवीत सर्वमायु रियादिति मांसोदन् ।
पाचयित्वा सपिष्मन्त अश्ननीयताम् ईश्वरी ।।
जनयित्वा औक्षेण वार्ष भेण वा ।
           ब्रह्दारण्य उपनिषद - 6-4-18


अर्थ :- मेरा पुत्र विद्वान, प्रसिद्ध सभा- समाज का हो, उसका भाषण सुनने के लिए लोग उत्सुक हो, वह सभी वेदों का पूरा अध्ययन करे और उसे लंबी उम्र प्राप्त हो ऐसी किसी की इच्छा हैं तो  उसने माता को बैल या सांड का मांस घी में पकाकर तयार किए हुए चावल खाने के लिए देना चाहिए
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बृम्हवैवर्त्य पुराण :-


पंच कोटी गवां मांस स्वान्नवेम च ।।   1-61-98
ऐतषां च नदी राशि भुजंते ब्राम्हणान्मुना ।।    1-61-99


अर्थ :- पाँच करोड गायों का मांस और मालपुए ब्राह्मण लोगों ने खाएँ
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गवा लक्षं छोदनं च हरिणांना द्विलक्षकम् ।।
चतुर्लक्षम् शशानां च कूर्माणां च तथाकुरू ।।   1-105-61
दश लक्षं छागलानां भेटाना तच्चतुर्गणम् ।।   1-105-62
एतेषां पक्व मांस भोजनार्थ च कारय ।।     1-105-63


अर्थ :- एक लाख गाएं, दो लाख हिरणे, चार लाख खरगोश, चार लाख कछुएँ, दस लाख बकरी और उससे चौगुना बकरे इन सभी का मांस पकाकर भोजन तयार किया गया।
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ब्रम्हवैवर्त्य पुराण :-


ब्राम्हणांना त्रिकोटीश्च भोजयामास नित्यश:      54-58
पंच लक्ष गवां मांसै सुपक्वैघृतसंस्कृतेः ।।
चव्र्येश्चोष्यैत्न्रे ह्यपेयैमिष्ट द्रव्यै: सुदर्लभै:       अध्याय 54


अर्थ :- यज्ञ में मनु तीन करोड ब्राह्मणों को भोजन देते थे। उन्हें घी में तले हुए व अच्छे से पके हुए पाँच लाख गाय के मांस इसके अलावा चूसकर खाने के, चबाकर खाने के और पिने के दुर्लभ पदार्थ उनकी थाली में परोसते थे।
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ब्राह्मणों की गोमांस निर्यात करनेवाली कंपनियाँ


1) Al-Kbeer Export pvt.ltd.
मालिक :- सतीश और अतुल सबरवाल


2) Arebian Export pvt. ltd.
मालिक :- सुनिल कपूर


3) M.K.R. Frozen food Export pvt. ltd.
मालिक :- मदन अबाॅट


4) P.M.L. Industries pvt.ltd.
मालिक :- ए.एस्.बिंद्रा।


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