राम का सच


तुलसी कृत रामायण को और ब्राह्मणों के पुराणों को पढ़ा जाये तो एक बता साफ़ हो जाती है कि राम पुत्रेष्टि यज्ञ के कारण पैदा हुआ था। यज्ञ पुराने समय पर आयोजित “फुल मून पार्टियों” को कहा जाता था। अब आप पूछोगे कैसे? तो आप को यज्ञ की सच्चाई से रूबरू करवा देते है, पुराने समय में “वामदेव-विरित” नाम की एक प्रथा प्रचलित थी जिसको बाद में यज्ञ कहा जाने लगा था। इस प्रथा में ब्राह्मण जिनको यज्ञ के लिए चुना जाता था वो यज्ञ के नाम पर पशुओं को काट कर उनके मांस का भक्षण करते थे, सोमरस अर्थात शराब का पान करते थे औ कई कई स्त्रियों और लड़कियों से सम्भोग करते थे। यह बात ऋग्वेद और कुछ अन्य पुराणों में लिखे श्लोकों से प्रमाणित हो जाती है


पुराणों का अध्ययन किया जाये तो पता चलता है कि यज्ञ के नाम पर पिता-पुत्री, माँ-बेटा के शारीरिक सम्बन्धों को भी उचित माना जाता था। यहाँ तक दादा और पौत्री के सम्बन्धों को भी जायज ठहराया जाता था जैसे दोहित्र ने अपनी 27 पुत्रियों को अपने पिता सोम को संतान उत्पति के लिए दी थी। ब्राहमण यज्ञ के नाम पर खुले में सबके सामने सम्भोग करते थे। उस प्रथा तो “बामदेव-विरित” कहा जाता था। जिस में ब्राह्मण गौ मांस खा कर और शराब पी कर सरेआम यज्ञ भूमि में कई कई स्त्रियों से सम्भोग करते थे। उदाहरण के लिए पराशर ऋषि ने सत्यवती और धिर्धत्मा के साथ यज्ञ भूमि में सब के सामने सम्भोग किया था। ब्राह्मण यज्ञ के नाम पर जानवरों के साथ भी सम्भोग करते थे। यथा; अश्विम्याँ छागेन सरस्वत्यै मेशेगेन्द्रय ऋषमें (यजुर्वेद २१/६०) अर्थात: प्राण और अपान के लिए दु:ख विनाश करने वाले छेरी आदि पशु से, वाणी के लिए मेढ़ा से, परम ऐश्वर्य के लिए बैल से-भोग करें। अश्वमेघ यज्ञ के नाम पर औरतों और लड़कियों को घोड़ों के साथ संभोग करने के लिए प्रेरित या विवश किया जाता था। अत: इन सब बातों से प्रमाणित हो जाता है कि ब्राह्मणों के यज्ञ सिर्फ पुराने समय की फुल मून पार्टियों से ज्यादा कुछ नहीं होते थे।


राम के जन्म के बारे भी यही कथा प्रचलित है। राम का जन्म भी पुत्रेष्टि यज्ञ के कारण ही हुआ था क्योकि महाराज दशरथ 60 साल के बूढ़े हो चुके थे और बच्चे पैदा करने की क्षमता खो चुके थे। इसलिए दशरथ ने उतम पुत्र पैदा करने के लिए पुरे भारत से ब्राह्मणों को बुलाया। सभी ब्राह्मणों में से तीन ब्राह्मण चुने गए, दशरथ ने अपनी तीनों पत्नियाँ उन ब्राह्मणों को सम्भोग के लिए दे दी। कई दिनों तक तीनों ब्राह्मणों ने कौशल्या, सुमित्रा और कैकई के साथ सम्भोग किया। जिस से दशरथ को राम, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न नाम के पुत्र प्राप्त हुए (प्रमाण के लिए “सच्ची रामायण” नामक किताब को भी पढ़ा जा सकता है, जोकि सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रमाणित किताब है)। इसको ब्राह्मण नियोग विधि भी कहते थे। नियोग विधि में कोई भी आदमी अपनी औरत को किसी दुसरे पुरुष को बच्चे पैदा करने के लिए दे देता था। खास कर ब्राह्मणों को नियोग विधि द्वारा बच्चे पैदा करने का अधिकार प्राप्त था। यहाँ तक की सीता भी ऐसी ही एक फुल मून पार्टी के कारण पैदा हुई थी। पुराने समय में योनी का अर्थ घर में पैदा हुए बच्चे को और अयोनि घर से बाहर पैदा किये गए बच्चे को कहा जाता था। तुलसी कृत रामायण में सीता को आज भी अयोनि अर्थात घर से बाहर पैदा की गई संतान लिखा गया है।


आप पाठकगण खुद फैसला करे कि इतने नीच कर्म से पैदा हुए राम को भगवान् कैसे माना जा सकता है? अभी दीपावली के नाम पर सारे भारतवासी उसी राम को भगवान् बना कर पूजा करेंगे। जबकि राम नीच कर्म से हुआ एक बहुत ही नीच आदमी था। ज्यादा जानकारी के लिए आप पाठकगण हमारी पोस्ट “दीपावली का सच” भी पढ़ सकते है। जिस में प्रमाणित किया गया है कि राम ने अपनी जिंदगी में कब कब और कौन कौन से नीच कर्म किये।


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