कानपुर। राजस्थान सीमा से भारत में प्रवेश कर विशाल टिड्डी दलों ने राजस्थान में भारी नुकसान पहुंचाया हैअब उन्हें धौलपुर की सीमा पर देखा गया है और उनके जिले में भी आने की संभावना है जिसको देखते हुए कानपुर जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है सभी सीएचसी व पीएचसी और पशु चिकित्साधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिये गये हैं टिड्डी दल को रोकने के लिए कीट रसायनों का छिड़काव करने के लिए अलर्ट जारी किया गया है इसके साथ साथ यह भी बताया गया है कि रसायनों के छिड़काव के प्रतिकूल असर भी हो सकते हैं जो मानव और पशुओं पर प्रभाव कारी होते हैं इनके प्रतिकूल असर होने की दशा में सारे इंतजाम पूरे करके रखने के आदेश भी जिला प्रशासन द्वारा दिए गए हैं, जिला प्रशासन द्वारा उप कृषि निदेशक धीरेंद्र सिंह( 8318372284) जिला कृषि रक्षाअधिकारीआशीष कुमार सिंह, (8909670610) जिला कृषि अधिकारी मनीष कुमार सिंह (9565663281) तथा कंट्रोल रूम नंबर 18001805159 जारी किए हैं जिन पर कोई भी समस्या होने पर संपर्क किया जा सकता है तथा सूचना दी जा सकती है।
- टिड्डी दल पर किसान भाइयों को कीट विज्ञान विभाग की सलाह- चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर धर्मराज सिंह ने किसान भाइयों को टिड्डी दल से अपनी फसलों को बचाव के लिए सलाह एवं जानकारी देते हुए बताया कि यदि टिड्डी कीट दल समूह में झुंड के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर अचानक आ जाते हैं जिसके 1 किलोमीटर क्षेत्र के झुंड में लगभग 400 लाख टिड्डी होते हैं। जो कि एक ही समय में खड़ी फसल में रात्रि के समय तूफान की तरह झुंड में आकर बैठते हैं और सारी फसल खाकर नष्ट कर देते हैं एवं सुबह के समय पुनः दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान कर जाते हैं अतः इनके बचाव हेतु सामूहिक एवं सामुदायिक रूप से कृषक भाई ध्वनि उपकरणों( घंटा,ताली एवं ताली बजाना) का प्रयोग रात्रि में करें जिससे की फसलों पर टिड्डी कीट दल न बैठे। विभिन्न क्षेत्रों में टिड्डी कीट दल का आगमन हो सकता है किसान भाइयों को कीट विज्ञान के विभागाध्यक्ष ने किसानों को यह भी सुझाव डॉ सिंह ने टिड्डी कीट को रासायनिक कीटनाशक से नियंत्रण के लिए बताया कि फ़िरपोनिल 5 एस सी-125 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा मेलाथियान 50 ई सी 1.850 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा fenitrothiyan 50 ई सी- 200-400 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर अथवा मेटआराईजीएम फफूंदी ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने कहा की छिड़काव करते समय ध्यान रखा जाए कि रासायनिक कीटनाशक पशु पक्षियों एवं अन्य लाभदायक जंतुओं पर ना पड़े कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में आने वाले सभी कृषि विज्ञान केंद्रों (कानपुर देहात , इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद , कासगंज , हाथरस ,अलीगढ़ , फतेहपुर , रायबरेली , हरदोई एवं लखीमपुर खीरी ) के वैज्ञानिकों को टिड्डी कीट दल के प्रति सचेत रहने एवं संबंधित जनपदों में निगरानी हेतु निर्देशित किया है
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