कानपुर। शहिदों की पत्नियों को बेवा (विधवा) ना बोला जाए बल्कि वीरवधू बोला जाए क्योंकि सैनिकों की पत्नियों के उतना ही योगदान होता है जितना सैनिकों का वो अपने पति की अनुपस्थिति में अपने परिवार अपने बच्चों की देखभाल करती है अपने बच्चों को उनके पिता के पद्चिन्हों पर चलना सिखाती है वो यही चाहती है कि मेरा भी बच्चा मातृभुमि की रक्षा करे उनका दिल रोता है लेकिन आँखों मे आँसू नही आने देती वो अपने पति की शहादत को बेकार नहीं जाने देती इस लिए शहीदों की पत्नियों को वीरवधू बोला जाए यह बात एक कार्यक्रम में कानपुर महानगर अध्यक्ष महिला सभा प्रसपा हेमलता शुक्ला ने कही उन्होंने आगे कहा कि गालवान घाटी में मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 20 अमर शहीदों को हमेशा याद किया जाएगा। राष्ट्र उनका ऋणी है। मैं शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँँ। भारतवासियों से विनम्र निवेदन है चीनी वस्तुओँ का बहिष्कार करे यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी अमर शहिदों को क्योकि चीन हमेशा भारत के खिलाफ साजिश रचता है और जब भी मौका मिलता है, भारत की संप्रुभता को चुनौती देता है। चीन को सबक सिखाना बहुत जरूरी है।
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