अपर मुख्य सचिव ने कानपुर देहात के डीपीआरओ समेत चार कर्मचारियों को किया निलंबित



 
कानपुर देहात जिला पंचायती राज कार्यालय में ऊपर से लेकर नीचे तक वसूली के खेल में लगे गिरोह की सभी सदस्यों की भूमिका तय थी। शिकार किस तरह जाल में फंसाना है पूरी रूपर


भ्रष्टाचार के आरोप में कानपुर देहात के डीपीआरओ समेत चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. इन लोगों के खिलाफ अवैध वसूली की शिकायत मिली थी, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है.




लखनऊ: भ्रष्टाचार के आरोप में कानपुर देहात के डीपीआरओ समेत चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. भ्रष्टाचार के आरोप में इन पर कार्रवाई की गयी है. अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कानपुर देहात के डीपीआरओ समेत चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. इन लोगों के खिलाफ अवैध वसूली की शिकायत मिली थी, जिसके उपरांत अपर मुख्य सचिव ने संज्ञान लिया.





डीपीआरओ शिव शंकर सिंह, सरवन खेड़ा ब्लॉक के बीडीओ जितेंद्र सिंह, कार्यालय वरिष्ठ सहायक राम सजीवन मौर्य निलंबित किए गए हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट निर्देश है कि भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए.


विभागीय जांच के दौरान गिरोह बनाकर चल रही वसूली से जुड़े तमाम राज अधिकारियों के सामने आए। जांच में पता चला कि दो वर्षो से यहां तैनात शिवशंकर सिंह ने सबसे पहले उन कर्मचारियों को मनचाही जगह तैनात किया जो उनके लिए वसूली कर सकें। कार्यालय बाबू रामसजीवन मौर्य को दो वर्ष पहले डीपीआरओ ने विशेष पटल पर नियुक्ति दी। यहीं से विकास कार्य और धनराशि से जुड़े कागजात जाते थे। कागजों में हेरफेर या कुछ और मिलता तो तुरंत रामसजीवन डीपीआरओ को बताता और वहां वह निरीक्षण करने पहुंच जाते थे। इसके बाद ग्राम विकास अधिकारी जितेंद्र कुमार और सफाई कर्मी यजुर्वेद्र कार्रवाई का भय दिखाकर शिकार पर दबाव बनाते थे। इससे सही काम करने वाला व्यक्ति भी दहशत में आकर इनके जाल में फंस जाता और रुपये देने को राजी हो जाता था। गांवों में हो रहे काम के वीडियो बनाए जाते थे, ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव से कहा जाता था कि कुछ न कुछ तो कामों में कमी निकाली ही जाएगी, फिर देखते हैं कैसे बचते हो। धमकी से डरकर जब वे बचने को गुहार लगाते तो उसे रुपये देने को आवास पर बुलाया जाता था। वसूली के मिले रुपये में सभी का हिस्सा बंधा होता था।







 



 







 




Comments