- कानपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित भीतरगांव में एक ऐसा प्राचीन मंदिर स्थापित है जो दो सप्ताह पहले ही बारिश आने का संकेत दे देता है। जिससे ग्रामीण बारिश से बचाव के लिए कच्चे मकानों को सुरक्षित बनाने लगते है जिससे लोग बारिश से सामना कर सके।
कानपुर। भारत के उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर एक गांव बेहटा है। इस गांव में एक ऐसा प्राचीन मंदिर स्थापित है जिसमे धूप में भी छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य छिपा है। यह घटनाक्रम किसी आम इमारत या भवन में नहीं बल्कि यह भगवान जगन्नाथ के प्राचीन मंदिर में है।
- छत से बारिश की बूंदे टपकने से बारिश का मिलता है संकेत :
गांव के रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि बारिश होने के दो सप्ताह पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं। इतना ही नहीं, जिस आकार की बूंदे टपकती हैं उसी आधार पर बारिश होती है। अब तो लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं। हैरानी में डालने वाली बात यह भी है कि जैसे ही बारिश शुरू होती है छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है।
- वैज्ञानिक भी नही जान पाए इस प्राचीन मंदिर का रहस्य :
जगन्नाथ मंदिर की प्राचीनता व छत टपकने के रहस्य के बारे में मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पुरातत्व विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक कई बार आए लेकिन इसके रहस्य को नहीं जान पाए हैं। अभी तक बस इतना पता चल पाया है कि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया था।
- मंदिर की बनावट बौद्ध मठ की तरह :
जगन्नाथ मंदिर की दीवारें 14 फीट मोटी हैं जिससे इसके सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने के कयास भी लगाए जाते हैं लेकिन इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान अभी नहीं लग पाया है। भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अति प्राचीन है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ बलदाऊ व सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां विराजमान हैं। प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की मूर्तियां भी हैं। जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी स्थानीय लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। लोगों की आस्था मंदिर के साथ गहरे से जुड़ी है देश विदेश से दर्शनाथी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं।
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