ीटेक्निक संस्थानों को काउंसलिंग से पहले ही सीटें खाली रहने का डर सताने लग गया है।

[7:36 PM, 9/18/2020] Jitendra varma: यह खबर भी भेजिए, अपनी भाषा का इस्इतेमाल  कीाजिएॉ................................................................ ीटेक्निक संस्थानों को काउंसलिंग से पहले ही सीटें खाली रहने का डर सताने लग गया है। दाखिले के लिए आवेदन तो निर्धारित सीटों से करीब सवा लाख ज्यादा आए, लेकिन कोरोना की वजह से प्रवेश परीक्षा में सीटें के मुकाबले भी छात्र शामिल नहीं हुए।


ऐसे में पॉलीटेक्निक संस्थानों को अपनी साख बचाने के लिए अब डायरेक्ट एडमिशन का ही सहारा नजर आ रहा है। कॉउंसलिंग 30 सितंबर से शुरू होगी। इस बार फार्मेसी पाठ्यक्रमों में भी सीटों के मुकाबले प्रवेश परीक्षा छात्र संख्या काफी कम रही। पॉलीटेक्निक के 50 से ज्यादा पाठ्यक्रमों को चार विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है।
इस बार ऑफलाइन के साथ पहली बार ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा भी आयोजित की गई। दोनों मोड में सुबह और शाम की पाली में अलग-अलग श्रेणी के पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई। ग्रुप बी, सी, डी, ई, एफ, जी, एच, और आई के पाठ्यक्रमों में 16,140 सीटें हैं।
इसके लिए 22,597 छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन परीक्षा देने महज 9,234 छात्र ही पहुंचे। वहीं, ग्रुप के-1 से के-8 तक के पाठ्यक्रमों में 11,807 सीटें हैं। इसके लिए 23,846 छात्रों ने आवेदन किया था। परीक्षा देने 11,383 छात्र ही पहुंचे। इन दोनों श्रेणियों में निर्धारित सीटों के सापेक्ष पर्याप्त छात्र प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित ही नहीं हुए।
सैकड़ों सीट रिक्त रहने की चिंता
पॉलीटेक्निक संस्थानों के कई फार्मेसी पाठ्यक्रमों में इस बार ताला लगता नजर आ रहा है। ग्रुप ई1 और ग्रुप ई2 में फार्मेसी के पाठ्यक्रम आते हैं। इसमें 58,758 सीटें हैं। इसके लिए 66,306 छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन परीक्षा देने करीब 39,000 छात्र ही पहुंचे।


वहीं, ग्रुप ए में डिप्लोमा इंजीनियर के पाठ्यक्रम संचालित होते हैं। इसमें 1,53,934 सीटें हैं। इसके लिए 2,78,145 छात्रों ने आवेदन किया था। परीक्षा देने के लिए करीब पौने दो लाख छात्र पहुंचे थे। इस पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या संतोषजनक रही, लेकिन पॉलीटेक्निक संस्थानों के संचालकों के अनुसार छात्र राजकीय और अनुदानित संस्थाओं में दाखिले के लिए प्रयासरत हैं। वहां सीटें फुल हो जाने के बाद बमुश्किल 5 प्रतिशत छात्र ही दाखिले के लिए उत्सुक रहते हैं। ऐसे में उनको इस पाठ्यक्रम की भी सैकड़ों सीटें रिक्त रहने की चिंता सताने लगी है।
[7:36 PM, 9/18/2020] Jitendra varma: 150 राजकीय और 19 अनुदानित संस्थान   
प्रदेश में 150 राजकीय, 19 अनुदानित और 1127 निजी संस्थान हैं। इनमें चारों श्रेणियों में करीब 2,40,000 सीटें हैं। दाखिले के लिए 3,90,894 छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन कोरोना की वजह से उम्मीद के मुताबिक छात्र प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित नहीं हुए। 


डायरेक्ट एडमिशन का सहारा   
पॉलीटेक्निक संस्थान के संचालकों की माने तो डायरेक्ट एडमिशन से ही कुछ हद तक स्थिति सुधर सकती है और सीटें ज्यादा रिक्त रहने से बचाया जा सकता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक इंटर पास छात्रों को सीधे दाखिला देने की अनुमति दी जा सकती है। इससे प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित ना होने वाले काफी संख्या में छात्र दाखिले के लिए आगे आएंगे।


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