आलू की फसल को समय से कीट एवं बीमारियों से बचाना जरूरी

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  • प्रदेश की लगभग सभी तहसीलों में  आलू की चिप्सोना प्रजाति बहुत अधिक उगाई जाती है। इस वर्ष आलू का बीज महंगा होने के कारण भी किसानों ने पिछले साल से अधिक बुआई का कार्य किया है और अच्छा उत्पादन होने की पूरी संभावना है

 वातावरण में आद्रता अधिक होने एवं दिन में प्रकाश ना होने के कारण आलू की फसल पर पछेती झुलसा का अधिक प्रकोप हो जाता है जिससे किसानों का अधिक नुकसान हो जाता है। प्रदेश की लगभग सभी तहसीलों में  आलू की चिप्सोना प्रजाति बहुत अधिक उगाई जाती है। इस वर्ष आलू का बीज महंगा होने के कारण भी किसानों ने पिछले साल से अधिक बुआई का कार्य किया है और अच्छा उत्पादन होने की पूरी संभावना है। चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कोहरा आलू की फसल को नुकसान पहुंचाता है साथ में इस समय पछेती झुलसा का अधिक खतरा है इसके साथ सफेद मक्खी  एवं मांहू का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है सफेद मक्खी एवं मांहू पत्तियों से रस को चूस लेती है तथा बीमारियों का प्रसारण भी करती है, जिसका समय से प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसके लिए डॉ सिंह ने बताया कि आलू के पछेती झुलसा  को प्रबंधित करने के लिए डाइथेन एम 45 की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी के दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए यह ध्यान रहे छिड़काव सदैव ओस खत्म हो जाने के बाद किया जाए, साथ में सफेद मक्खी एवं  मांहू को नियंत्रित करने के लिए वाइपर प्लस नामक कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी इसके लिए 2 एम एल कीटनाशक को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर साथ में ही छिड़काव करें। जब आलू 70 दिन का हो जाए तो 80 किलोग्राम यूरिया के साथ 10 किलोग्राम सल्फर का भुरकाव प्रति एकड़ करना चाहिए इससे कंदो का आकार एक समान हो जाता है उत्पादन भी अच्छा होता है। इसके बाद डाईथेन एय 45 की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए जिससे पछेती झुलसा का खतरा बिल्कुल नहीं रहता। जब फसल 100 दिन की हो जाए तो उसके तनो की कटाई अधिक लाभप्रद होती है उसके कुछ दिन बाद आलू की खुदाई करें।

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