- यूनिवर्सिटी के मेधावी छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी ने राजधानी की पांच मलिन बस्ती के बच्चों को पढ़ाने की पहल शुरू की है. उनका मकसद मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा देना है
लखनऊः लखनऊ यूनिवर्सिटी के मेधावी छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी ने राजधानी की पांच मलिन बस्ती के बच्चों को पढ़ाने की पहल शुरू की है. उनका मकसद मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा देना है, ताकि वह भी और बच्चों की तरह पढ़ाई कर सकें. उन्होंने बताया कि मलिन बस्ती में रहने वाले ज्यादातर परिवार पैसों से इतना सम्पन्न नहीं हैं कि वह अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा सकें. इसके चलते वह अपने बच्चों को शुरू से ही काम कराने के लिए भेज देते हैं.दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों का पढ़ाई करने का मन तो करता है, लेकिन काम की वजह से उनका मन पढ़ाई की ओर केंद्रित नहीं हो पाता. उन्होंने बताया कि हमारी इस पहल का मकसद सिर्फ इतना है कि जो भी छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनका ध्यान पढ़ाई की तरफ केंद्रित कर सकें. अच्छी शिक्षा ग्रहण करने से उनका भविष्य भी अच्छा होगा.अपनी इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि हम लोगों ने अभी 5 मलिन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाने का अभियान शुरू किया है. हम उन्हें शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दे रहे हैं. इसके अलावा हम इनको पढ़ाई के लिए जागरूक भी कर रहे हैं, ताकि ये नजदीकी सरकारी स्कूलों को ज्वॉइन कर सकें. साथ ही उन्हें समाज की समझ विकसित हो सके.उन्होंने बताया कि इस अभियान को हमने 'एकल फ्यूचर' के नाम से पूरे विश्वविद्यालयों में फैलाया है. लखनऊ विश्वविद्यालय के 500 से 600 छात्र इस अभियान से हमारे साथ जुड़ चुके हैं. विवि के आसपास जितने भी स्लम्स हैं, हम वहां यह अभियान चला रहे हैं. इसके अलावा लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में भी हमारे साथ के लोग जाकर इस अभियान को शुरू कर रहे हैं. वहीं बच्चों को हम अपनी पॉकेट मनी से किताबे दिलाते हैं. लगभग ढाई साल से यह अभियान चल रहे हैं. वहीं काफी बच्चे हैं, जिन्होंने हमारे इस अभियान से जुड़ने के बाद स्कूलों में एडमिशन लिया है. काफी बच्चों के माता-पिता ने काम छुड़वाकर पढ़ाई के लिए भेजा है. यह सब देखकर काफी अच्छा महसूस होता है. दुर्गेश त्रिपाठी लखनऊ विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष और विवि के चांसलर गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं.
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