59000 शिक्षक भर्ती मामले में धरना दे रहे प्यार की आखिर धरना खत्म होने के बाद बाकी बचा अपना समय कैसे गुजार रहे हैं 1 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अभी सरकार की तरफ से इन अभ्यार्थियों को किसी भी फैसले को लेकर कोई झंडी नहीं मिली है जिसके चलते अभ्यार्थी लगातार अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं वहीं अगर इन अभ्यार्थियों के धरना खत्म करने के बाद की बात करें तो आखिर बाकी का समय यह अभ्यार्थी कैसे काट रहे हैं और किन किन परिस्थितियों से या गुजर रहे हैं इसकी का जायजा लेने जब हमारी नाइन वन टाइम्स की टीम

सीतापुर रोड स्थित बख्शी तालाब पहुंची तो देखा कि अभ्यर्थी एक निर्माणाधीन मकान में रुके हुए हैं जिसमें मेन गेट तो है लेकिन बाकी बचे कमरों में ना तो दरवाजे हैं ना तो खिड़कियां हैं आखिर इस इस ठंड में जया भारती किस तरह से अपनी रातों को गुजार रहे हैं और कैसे खा पी रहे यह नजारा काफी लोग के खड़ा कर देने वाला था आपको बता दें कि 59000 शिक्षक भर्ती मामले में करीब 600 से ज्यादा अभ्यार्थियों का भविष्य अधर में पड़ा हुआ है पिछले 1 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं उनकी मांग है कि उनके मूल अभिलेखों की जांच करके उनकी नियुक्ति कर दी जाए उनका आरोप है कि हम लोगों को सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है हालांकि बात करें अगर अभ्यर्थियों की तो धरना खत्म होने के बाद अब व्यक्ति किस तरह से मुसीबत उठा रहे हैं और कैसे रह रहे हैं इसी को लेकर आज नाइन वन टाइम्स ने लखनऊ के बख्शी तालाब स्थित पहुंचकर जायजा लिया तो देखा कि सभी अभ्यर्थी एक सुनसान इलाके के निर्माणाधीन मकान में रुके हुए थे जहां पर और लोगों के रहने की बात करें तो नाम मात्र लोग ही वहां रहते हैं वही अभ्यार्थी बबली पाल ने बातचीत के दौरान बताया कि हम लोगों को अपनी मांगों को लेकर पिछले काफी समय से धरने पर बैठे धरना खत्म होने के बाद पहले हम लोग रैन बसेरे में रुकते थे लेकिन रैन बसेरा में भी 3 दिन से ज्यादा रुकने नहीं दिया जा सकता इसलिए हम लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा और सभी ने मिलकर एक मकान किराए पर लिया है जो कि अभी निर्माणाधीन है उसमें मेन गेट लगा हुआ है किंतु ना ही कोई दरवाजा है और ना ही कोई खिड़की रात में सोने में भी ठंड में लोगों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है हालांकि सोने के लिए बिस्तर भी थे हम लोगों ने आपस में पैसे इकट्ठे करके किराए पर बिस्तर तो ले आए हैं लेकिन खिड़की दरवाजे ना होने के चलते रात में सर्द हवा आती है जिससे जाकर ही हमें रात काटनी पड़ती है खाना बनाने के लिए भी घर के बाहर चूल्हे में खाना बनाना पड़ता है क्योंकि हम लोगों के पास कोई सुविधा नहीं है मकान मालिक का कहना है कि चूल्हे के दोहे से मकान खराब हो जाएगा इसलिए मजबूरी में बाहर खाना बनाना पड़ता है हम लोग इस आशा में यहां रुके हुए हैं कि शायद सरकार को हमारी सुध हो और हमारा समाधान हो जाए






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