विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर गोल्ड मेडलिस्ट दुर्गेश त्रिपाठी ने नई पहल की की है. शहरी इलाकों के साथ-साथ अब ग्रामीण इलाके के बच्चों और उनके परिजनों को पढ़ाई के लिए मोटिवेट करने में जुटे हैं.लखनऊ के बख्शी का तालाब के चंदनकुण्ड गांव में बच्चों को पढ़ाने की पहल शुरू की है. हम लोग गांव में आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों के बच्चों को शिक्षित करेंगे
लखनऊ: विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के चांसलर गोल्ड मेडलिस्ट दुर्गेश त्रिपाठी ने नई पहल की की है. शहरी इलाकों के साथ-साथ अब ग्रामीण इलाके के बच्चों और उनके परिजनों को पढ़ाई के लिए मोटिवेट करने में जुटे हैं. इस पहल में दुर्गेश के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय के कई अन्य छात्र-छात्राओं ने अपनी भागीदारी करना शुरू कर दिया है.
इस बारे में नाइन वन टाइम्स से बातचीत के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष और चांसलर गोल्ड मेडलिस्ट रहे दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ के बख्शी का तालाब के चंदनकुण्ड गांव में बच्चों को पढ़ाने की पहल शुरू की है. हम लोग गांव में आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों के बच्चों को शिक्षित करेंगे.
विश्वविद्यालय के कई छात्र-छात्राएं और गांव के कई शिक्षित लोग इस पहल में जुड़ रहे हैं
दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्रा अपनी पॉकेट मनी कलेक्ट करके इन बच्चों के लिए कॉपी-किताबें आदि प्रोवाइड कराते हैं. अभी तक हमारे साथ विश्वविद्यालय के कई छात्र लखनऊ के स्लम इलाके में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने जाते हैं. विश्वविद्यालय के कई छात्र-छात्राएं और गांव के कई शिक्षित लोग इस पहल में जुड़ रहे हैं. इस पहल में 11 गांव की शिक्षित महिलाओं के साथ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी जिम्मेदारी दी गई है. बच्चों के साथ-साथ अब उनके परिजनों को भी पढ़ाई को लेकर मोटिवेट किया जा रहा है.
चन्दनकुण्ड गांव में रहने वाली पूनम वाजपेयी
लखनऊ के बख्शी का तालाब के चन्दनकुण्ड गांव में रहने वाली पूनम वाजपेयी ने बताया कि दुर्गेश त्रिपाठी ने बहुत अच्छी पहल शुरू की है. इस पहल में उन्होंने 11 गांव की शिक्षित महिलाओं के साथ-साथ विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं का भी सहयोग मिल रहा है. इस पहल के चलते आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई से वंचित रहने वाले बच्चों को लाभ मिलेगा.
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