भारत में कई ऐसे जीव हैं जिन की प्रजातियां धीरे धीरे कम होती जा रही है कई प्रजातियां जीवो की ऐसी है जिनका पूरी तरह से पतन हो चुका है इन्हीं में से एक खत्म होती प्रजाति चमगादड़ है जिसका शोध कर रहे विश्वविद्यालय के शोध कार्य छात्र जिन्होंने समय-समय पर इनकी जनगणना कर सरकार को बराबर अवगत कराया है चमगादड़ की समाप्त होती प्रजातियों पर नाइन वन टाइम्स ने शोध कार्य छात्र जितेंद्र कुमार से बात की और वर्तमान में चमगादड़ ओं की संख्या को कम होने का कारण व इन्हें सुरक्षित रखने का उपाय जानने का प्रयास किया तो आइए पेश है हमारी बातचीत के संपूर्ण अंश
चमगादड़ शोध कर रहे लखीमपुर खीरी के रहने वाले और लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ने वाले छात्र जितेंद्र कुमार ने बताया कि दिन पर दिन चमगादड़ की प्रजातियां कम होती जा रही है उन्होंने बताया कि हमारा शोध चमगादड़ की सभी प्रजातियों पर उनकी जनसंख्या का स्तर व उनमें कौन-कौन से पैरासाइट पाए जाते हैं
नाइन वन टाइम्स से बातचीत के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध छात्र जितेंद्र कुमार ने बताया कि मैं उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाले चमगादड़ की प्रजातियों पर शोध कर रहा हूं और मैं लखीमपुर खीरी का रहने वाला हूं
मैंने 2010 से 2015 तक चमगादड़ की प्रजाति पर शोध किया था विशेष शोध के दौरान मैंने पाया कि 2010 में इनकी संख्या 5673 और 2015 में इनकी संख्या 5080 हो गई थी हालांकि हम कह सकते हैं कि चमगादड़ की प्रजाति और जनसंख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है उन्होंने बताया कि अगर लखीमपुर खीरी की बात करूं तो लखीमपुर खीरी में चार प्रकार के चमगादड़ पाए जा रहे हैं उन्होंने बताया कि सबसे बड़े चमगादड़ की जो प्रजाति है वह इंडियन फ्लाइंग फॉक्स को लगभग 1/ 2 से 2 मीटर होती है यह प्रजाति काफी बड़ी होती है तो आसानी से इनकी संख्या का पता चल जाता है और यह फलों के पेड़ों में देखने को मिलती है उस से छोटी इंडियन क्लॉक वैंपायर वेट द लिटिल इंडियन वेट द इंडियन बेड द केलार्ट पिपिस्टलि बेड है यह सभी प्रजाति काफी पुराने घरों और मकानों की दरारों मैं पाई जाती है इनकी भी प्रजाति धीरे-धीरे कम देखने को मिल रही है
बराबर जुटा रहे जानकारियां
उन्होंने बताया कि हालांकि इनकी संख्या को लेकर पूरे प्रदेश में बराबर हम जानकारियां जुटा रहे हैं छात्र जितेंद्र ने बताया कि हमने शोध के दौरान पाया कि इंडियन फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ सबसे ज्यादा पुराने आम के पेड़ों में पाए जाते थे लेकिन पेड़ों का कटान होने के चलते यह चमगादड़ की प्रजाति कम होती जा रही है वहीं अगर अन्य चमगादड़ की प्रजातियों की बात करें तो जो पुराने घरों के टूटने की वजह से जनसंख्या कम हो रही है
उन्होंने बताया कि देखा गया है कि इन कुछ वर्षों में जिस तरह से पेड़ों का कटान और मकानों का टूटना हुआ है इस वजह से चमगादड़ की प्रजातियां कम होती चली गई है इनको बचाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जहां यह चमगादड़ जिस पेड़ पर बैठते हैं उसको ना कटने दिया जाए जिन पेड़ों पर चमगादड़ बैठते हैं कोर्बेट हाउस के नाम से घोषित कर दिया जाना चाहिए जितेंद्र ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा आम पीपल बरगद के पेड़ों को लगाया जाना चाहिए जिससे इनकी प्रजातियां खत्म ना हो सके
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