एकल विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ संस्कार का पाठ




एकल विद्यालय के पढ़ने वाले बच्चों को विद्यालय में पढ़ाई के साथ साथ संस्कार का पाठ पढ़ाने की पहल शुरू की है जिससे बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा संस्कार भी मिल सके विद्यालय के शिक्षकों का मानना है कि बच्चों को पढ़ाने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनके अंदर अच्छे संस्कार भी देना जरूरी है
राजधानी लखनऊ के बख्शी के तालाब स्थित चंदन कुण्ड गांव में चलने वाले एकल विद्यालय की शिक्षिका पूनम बाजपेई ने बताया कि हमारे एकल विद्यालय में बच्चों के पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को यह भी सिखाया जाता है कि उनको बड़ों का आदर किस तरह करना चाहिए उन्होंने यह भी बताया कि हमारे स्कूल में जब बच्चे पढ़ने आते हैं तो सबसे पहले ओम का उच्चारण गायत्री मंत्र का पाठ 3 बार करते हैं सरस्वती वंदना मात्र प्रणाम विजय मंत्र के बाद ध्येय का पाठ पढ़ाया जाता है उसके बाद बच्चों की पढ़ाई का कार्य शुरू किया जाता है 
जिससे बच्चों की अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार मिल सके
वही भवानीपुर गांव की एकल विद्यालय की शिक्षिका शिवानी ने बताया एकल विद्यालय की शुरुआत अन्य विद्यालयों के अपेक्षा अलग समय से शुरू होती है उन्होंने बताया कि सभी एकल विद्यालय शाम 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक चालू होते हैं यह समय इसलिए अलग है बच्चे अगर किसी अन्य स्कूल में भी जाते हैं तो वह 3 बजे तक अपने विद्यालय से आकर एकल विद्यालय में शिक्षा और संस्कार का पाठ पढ़ते हैं इस एकल विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा दी जाती है आगे उन्होंने बताया कि बच्चों को इसके साथ-साथ योगा भी सिखाया जाता है जिससे बच्चे अपने आप में स्वस्थ महसूस कर सकें

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