आचार्य डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने एक पहल शुरू की है जिसमें छात्राओ को प्रशिक्षित करके किसानों के खेतों में समसामयिक फसलों में लगने वाले कीट एवं बीमारियों को प्रबंधित किया जाए
बख्शी का तालाब स्थित चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने एक पहल शुरू की है जिसमें छात्राओ को प्रशिक्षित करके किसानों के खेतों में समसामयिक फसलों में लगने वाले कीट एवं बीमारियों को प्रबंधित किया जाए, इस उपलक्ष्य में महाविद्यालय में छात्राओं को जैविक कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया गया। डॉ सिंह ने बताया कि आज के परिवेश में कीटनाशकों का बहुत अधिक प्रयोग हो रहा है इसे रोकने के लिए महाविद्यालय की छात्राओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है जिससे यह किसानों के खेतों में जाकर उनको नई तकनीकी की जानकारी प्रदान करें जिससे इको फ्रेंडली तरीके से किसान अपनी फसल को उत्पादित कर सकें। डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस पहल के द्वारा किसानों तक शीघ्र तकनीकी जानकारी पहुंचेगी जिससे किसान अधिक लाभान्वित होंगी क्योंकि किसान छात्राओं की बात बहुत अच्छी तरीके से सुनते हैं और समझते हैं फिर उनका अनुपालन करते हैं।
छात्राओं ने बताया कि इस प्रशिक्षण में प्रमुख रूप से रसायनों के प्रयोग को कम करने के लिए जैविक उत्पाद को बनाने उनके प्रयोग करने के तरीके तथा प्रयोग करने का समय पर विधिवत प्रशिक्षण हम लोगों को कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह दिया और बताया कि महाविद्यालय में आवारा मवेशियों को प्रबंधित करने के लिए भांग की पत्ती तथा गाय के गोबर का प्रयोग करके फसलों के चारों तरफ छिड़काव करने से आवारा मवेशी फसलों के पास नहीं आते, इसका विधिवत
छात्राओं ने बताया की किसान अधाधुंध तरीके से फसलों में लगने वाले कीड़ों को प्रबंधित करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं इसके प्रयोग को कम करने के लिए महाविद्यालय में जैविक कीटनाशक जिसमें ट्राइकोडरमा, ब्यूबेरिया बैसियाना, मेटारजियम एनीसोपली एवं बैसिलस थुरिजेनेसिस के प्रयोग की विधि बताई गई जिससे हम लोग इन जैविक उत्पादों को किसानों मात्रा प्रयोग की जाए उसकी जानकारी देंगे।
आज के प्रशिक्षण में हम सभी छात्राओं ने याचिका की वातावरण में परिवर्तन हो रहा है उससे आम की फसल पर आम का भुंनगा कीट का प्रकोप अधिक बढ़ा हुआ है, इसके सफल प्रबंधन हेतु इमिडाक्लोप्रिड 0.5 एम एल कीटनाशक को 2 ग्राम सल्फर को 1 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करने का प्रशिक्षण लिया। इस समय केले की फसल पर बनाना बिल्ट का अधिक प्रकोप है इसको प्रबंधित करने के लिए प्रॉपिकोनाजोल 25 ई सी कि 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करने पर प्रशिक्षण लिया।
छात्राओं को बताया कि जिन किसानों के खेतों में केले पर इस समय बीमारियां लगी हुई है उसके लिए ट्राइकोडरमा 5 ग्राम मात्रा को पौधों की जड़ों के पास मिलाकर मिट्टी चढ़ाने को कहा।
महाविद्यालय के
संस्थापक प्रबंधक बाबू भगवती सिंह एवं प्राचार्य प्रो योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि यह एक बहुत अच्छी पहल है, इससे छात्राएं प्रशिक्षण लेने के बाद अपने गांव में किसानों को नई तकनीकी बताएगी जिससे किसान लाभान्वित जरूर होंगे। प्रो शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा कई जैविक उत्पाद तैयार किए गए हैं जिनका प्रयोग किसानों के खेतों में किया जा रहा है जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं। शीघ्र ही छात्राओं को मधुमक्खी पालन, बरबरी बकरी पालन, कड़कनाथ मुर्गा पालन, मशरूम की खेती तथा संरक्षित सब्जियों की खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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