मेरा रंग दे बसंती चोला और सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है---- इन लाइनों ने क्रांतिकारियों में जोश पैदा किया और आज हमारा देश आजाद है । हम आजाद देश को जो क्रांतिकारियों ने हमें दिया है उसे हम सजो कर रखें जय हिंद जय भारत।
आज पूरा भारत आजादी का अमृत महोत्सव बड़े गर्व के साथ मना रहा है वहीं पर 9 अगस्त 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के काकोरी क्षेत्र में ट्रेन से सरकारी खजाना लूट कर ब्रिटिश शासन को सबसे बड़ी चुनौती दी थी। इस घटना से आजादी की नई चेतना जागृत हुई थी।
हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन की स्थापना कानपुर तथा बांग्लादेश के क्रांतिकारियों द्वारा 1924 में किया गया इस संगठन के घोषणा पत्र का नाम "रिवॉल्यूशनरी" रखा गया। आंदोलनकारियों के पास धन का बहुत अभाव था जिस कारण अंग्रेजों से लड़ना बहुत मुश्किल हो गया था। क्रांतिकारियों ने गुप्त रूप से राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में राजनीतिक डकैती डालने का काम शुरू किया लेकिन डकैतियों से कोई लाभ नहीं मिला। शाहजहांपुर में बिस्मिल के घर पर एक गुप्त बैठक 8 अगस्त 1925 को बुलाई गई और इस बैठक में शाहजहांपुर लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को लुटने की बड़ी योजना बनाई गई, इसका नेतृत्व राम प्रसाद बिस्मिल ने किया इसमें 10 क्रांतिकारियों को शामिल किया गया जिसमें अशफाक उल्ला खां ,केशव चक्रवर्ती, सचिंद्र नाथ बक्शी, राजेंद्र लाहिड़ी, बनवारी लाल, मुरारी शर्मा, केशव चक्रवर्ती, चंद्र शेखर आज़ाद, मन्मथनाथ गुप्त, और मुकुंदी लाल शामिल थे। पूर्व योजना के अनुसार यह सभी लोग 9 अगस्त को ट्रेन पर सवार हुए और जैसे ही ट्रेन काकोरी पहुंची चैन पुलिंग करके गार्ड के रखे सरकारी खजाने को ट्रेन के नीचे गिरा दिया और खजाना लूट कर क्रांतिकारी फरार हो गए। ब्रिटिश सरकार इस डकैती को बहुत ही गंभीरता से लिया और इसकी जांच स्कॉटलैंड पुलिस को सौंपी थी स्कॉटलैंड पुलिस ने शाहजहांपुर के एक व्यक्ति जिनका नाम बनारसी लाल था बनारसी लाल से काकोरी कांड की बहुत सी जानकारी प्राप्त की। इस घटना में बहुत से लोगों की गिरफ्तारियां हुई, चंद्र शेखर आजाद केशव चक्रवर्ती, मुरारी शर्मा, अशफाक उल्ला खां व सचिन नाथ बख्शी फरार थे। इन गिरफ्तारियां से क्रांतिकारी लोकप्रिय होते गए और एक राष्ट्रीय जोश उभर कर सामने आया 10 महीने तक लखनऊ की अदालत रिंग थिएटर में इसका मुकदमा चला 6 अप्रैल 1927 को इस मुकदमे का फैसला हुआ राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह एवं अशफाक उल्ला खां को फांसी, योगेश चंद्र चटर्जी, मुकंदी लाल, गोविंद चरण और राजकुमार सिंह को 10 साल की सजा हुई । इस तरह से इस कांड में जुड़े हुए बहुत से लोगों को 2 से 10 वर्ष की सजा हुई, आज हम आजादी के अमृत महोत्सव को बना रहे हैं और उन तमाम क्रांतिकारियों को जिन्होंने देश को आजाद करने में अपनी अहम भूमिका निभाई उनको नमन करते हैं और काकोरी कांड जैसी घटना ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को हिला कर के रख दिया था और आज हम एक आजाद भारत और एक आत्मनिर्भर भारत बनाने जा रहे हैं। राष्ट्रीय एकता संप्रभुता का यह देश शीघ्र ही आत्मनिर्भर बनेगा।
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