उत्तर प्रदेश के कानपुर में दशानन का इकलौता मंदिर है। दशानन मंदिर के कपाट साल में एक बार विजयादशमी के दिन खोले जाते हैं। रावण प्रकांड ज्ञानी था, उसके जैसा ज्ञानी इस पूरे ब्रह्मांड में दूसरा नहीं था। दशानन रावण भगवान शंकर के चरणों में कमल के फूलों की तरह सिर चढ़ाता था। विद्वानों का मानना है कि जिस दिन रावण का जन्म हुआ था, उसी दिन उसका वध भी हुआ था। ऐसे में इस दिन मंदिर के कपाट खोलकर रावण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
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