लोक आन्दोलन के अग्रेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण की मनाई गई जयंती
हमीरपुर सुमेरपुर आजादी के अमृत महोत्सव की प्रासंगिकता को देखते हुये वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत लोक आन्दोलन के अग्रेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जन्मदिन 11 अक्टूबर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि जे पी सही मायने भारत माता के लौह लाडला थे ये जीवन भर देश सेवी रहे, इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, इनके बचपन का नाम बउल था,ये बचपन से ही सरल और संवेदनशील थे,ये मेधावी छात्र रहे, इनकी साहित्य मे भी रुचि रही,ये गांधीजी के असयोग आन्दोलन मे 19 वर्ष की उम्र मे प्रतिभागी हुये, ये 1922 मे अमरीका पहुंचे,वहां से बी ए और एम ए किया, जे पी ने अमरीका मे अर्थोपार्जन के लिए कई कामों के साथ साथ बूटपालिश भी की,ये 1929 मे भारत लौट आये, इनकी 1929 मे गांधीजी से भेट हुई,ये कई बार जेल गये,जे पी की नेहरू जी से भी मुलाकात हुई, आगे चलकर जे पी ने समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की,1954 मे जे पी विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन से जुड गये,1960 मे ये पुनः राजनीति से जुड गये। 1970 मे जे पी ने विपक्षियो को एकजुट किया,1974 मे संपूर्ण क्राति का आवाहन किया, छात्रों ने 09 अप्रैल 1974 को जे पी को लोकनायक कहा,तभी से वे लोकनायक कहलाने लगे,आपातकाल कालमे जे पी के साथ अनेक विपक्षी नेताओं को इन्दिरा कांग्रेस ने जेल मे डाल दिया, इन्हीं के प्रयास से 1977 मे जनता पार्टी बनने के साथ साथ गैर कांग्रेसी सरकार बनी, इन्हें 1965 मे मैगसेसे तथा 1998 भारत रत्न से नवाजा गया, कालांतर मे 8 अक्टूबर 1979 को इनका निधन हो गया।देश इनके योगदान को भूल नहीं सकता है।कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट ,मुन्नी चौरसिया, अशोक अवस्थी, रमेश चंद्र गुप्ता, राधारमण गुप्ता, मुखिया, पुन्नी महाराज, अनंतराम, लखन और रमेश चंद्र कुशवाहा आदि शामिल रहे।
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