बता दें कि क्षेत्र के खानपुर मऊ निवासी अवधेश कुमार की जमीन का कुछ हिस्सा सड़क निर्माण में जा रहा था। इस पर उसने तहसील में भूमि की पैमाइश के लिये प्रार्थनापत्र दिया था। लेकिन उसे काफी दिनों से दौड़ाया जा रहा था। इस पर उसने लखनऊ में मंडलायुक्त के यहां रिवीजन डाला था। मामला लखनऊ पहुंचने पर कानूनगो अनिल पांडेय ने निपटारे के लिए उससे 10 हजार रिश्वत मांगी थी। जिसकी शिकायत अवधेश ने एंटी करप्शन विभाग में की थी। जांच के बाद गुरुवार देरशाम लखनऊ से प्रभारी शिव कुमार की अगुवाई में आई टीम ने हसनगंज कस्बा स्थित कानूनगो के आवास के पास घेराबंदी की।
अवधेश ने पेशगी के 5000 रुपये जैसे ही अनिल पांडे को दिए पीछे से पहुंचे टीम के सदस्यों ने उसे रंगेहाथ दबोच लिया। कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसे गाड़ी में बैठा कर टीम अजगैन कोतवाली ले आई। जहां उसका सीएचसी में मेडिकल कराने के बाद उसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है। कानूनगो के पकड़े जाने की सूचना मिलने के बाद तहसील के अन्य कर्मियों में हड़कंप मचा है। बता दें कि पकड़े गए कानूनगो पर पहले भी लोग दबी जुबान से भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। लेकिन वह कार्रवाई से बचता रहा। वहीं, कानूनगो के पकड़े जाने की सूचना पर कोतवाली अजगैन में राजस्व कर्मियों का भी जमावड़ा लगने लगा है। इसे देखते हुए पुलिस भी अलर्ट हो गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी कानूनगो को कोतवाली से हटाकर किसी अन्य स्थान पर भल ले जाया जा सकता है।
टीम की सराहना, लेकिन स्थायी समाधान की जरूरत पीड़ित और अन्य स्थानीय निवासियों ने एंटीकरप्शन टीम की कार्रवाई की सराहना की। टीम ने कहा कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे। हालांकि, लोगों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई को स्थायी समाधान में बदलने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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